भारत के 14 वें राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में धर्मगुरूओं, धार्मिक संगठनों और यूनिसेफ के प्रतिनिधियों से की भेंटवार्ता

भारत की प्रथम राष्ट्रीय बहुधर्मी समन्वय समिति की बैठक सफलतापूर्वक हुई सम्पन्न
स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता, बाल संरक्षण और शिक्षा पर गहन चिंतन मंथन
ऋषिकेश, 30 मई। भारत के 14वें राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी विगत तीन दिनों से परमार्थ निकेतन की यात्रा पर हैं। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन में स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता, बाल संरक्षण और शिक्षा पर गहन चिंतन मंथन हेतु राष्ट्रीय बहुधर्मी समन्वय समिति की बैठक सम्पन्न हुई। जिसमें भारत के विभिन्न धर्मों के धर्मगुरूओं व आध्यात्मिक पृष्ठभूमि के प्रतिनिधियों ने सहभाग किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में धर्मगुरुओं, धार्मिक संगठनों के प्रमुखों और यूनिसेफ के प्रतिनिधियों ने भारत के 14 वें राष्ट्रपति, श्री रामनाथ कोविंद जी से भेंटवार्ता की।
इस कार्यक्रम के माध्यम से बहुधर्मी, बहुसांस्कृतिक समाज में सामाजिक समरसता को प्रोत्साहित करते हुए स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता, बाल संरक्षण एवं शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया गया और एक बहुधर्मी संगठन समिति का गठन भी किया गया।
परमार्थ निकेतन में भारत की प्रथम राष्ट्रीय बहुधर्मी समन्वय समिति की बैठक भी सफलतापूर्वक संपन्न हुई। यह समिति विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाकर सामूहिक प्रयासों के माध्यम से राष्ट्रीय हितों एवं सामाजिक कल्याण के लिए आगे भी काम करेगी। बैठक में शामिल सभी सदस्यों ने देश के सामाजिक ताने-बाने में बहुधर्मी एकता की आवश्यकता पर जोर दिया और ऐसे कार्यों पर चर्चा की जो समाज के सबसे कमजोर वर्गों तक स्वास्थ्य, शिक्षा और संरक्षण के संदेश पहुंचा सकें।
भारत की संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है यहाँ की ‘अनेकता में एकता’। धर्म, भाषा, वेशभूषा, रीति-रिवाजों की विविधता के बावजूद हमारा देश एकजुट है और यही इसकी सबसे बड़ी ताकत है। इस बैठक में भी यही भावना दिखाई दी, जहाँ विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं ने मिलकर देश के कल्याण के लिए साझा सोच और साझा कार्य की प्रतिबद्धता जताई।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि धर्म केवल आध्यात्मिक अभ्यास नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का भी मार्ग जब हम सभी धर्मों के प्रतिनिधि मिलकर समाज सेवा के लिए कार्य करते हैं, तब न केवल धार्मिक सौहार्द बढ़ता है, बल्कि समाज की समग्र प्रगति भी सुनिश्चित होती है।
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी ने कहा कि भारत की ताकत इसकी विविधता में निहित है। विभिन्न धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों का समन्वय ही हमें विश्व के सामने एक अनूठा और अद्भुत बनाता है। आगे भी हमें इस समरसता को और मजबूत बनाना है ताकि प्रत्येक नागरिक को न्याय, समानता और विकास के अवसर मिल सकें। राष्ट्रीय बहुधर्मी समन्वय समिति इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जो देश के सामाजिक ताने-बाने को और अधिक सशक्त बनाएगी।
यूनिसेफ के प्रतिनिधियों ने बाल संरक्षण, पोषण और शिक्षा के क्षेत्र में चल रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी और साथ ही बताया कि किस प्रकार बहुधर्मी समन्वय के माध्यम से इन कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। बच्चों का संरक्षण और उनका सर्वांगीण विकास आज की सबसे बड़ी प्राथमिकता है, और इसके लिए सभी समुदायों का सहयोग अनिवार्य है।
स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता, बाल संरक्षण और शिक्षा जैसे विषयों पर हुई गहन चर्चा ने यह स्पष्ट कर दिया कि समाज के प्रत्येक वर्ग, हर धर्म और संगठन को मिलकर काम करना होगा। स्वच्छता अभियान, स्वस्थ जीवनशैली, बाल संरक्षण के लिए जागरूकता, एवं सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना, ये ऐसे उद्देश्य हैं जिनमें राष्ट्रीय बहुधर्मी समन्वय समिति अग्रणी भूमिका निभा सकती है।
इस बैठक के सफल समापन के बाद सभी प्रतिनिधियों ने एक साझा संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया है कि वे सभी मिलकर देश के प्रत्येक हिस्से में स्वास्थ्य, शिक्षा और बाल संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य करेंगे। साथ ही सामाजिक सद्भाव और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए भी विशेष कदम उठाए जाएंगे।

यह आयोजन न केवल भारत के सामाजिक ताने-बाने में ‘अनेकता में एकता’ के संदेश को पुनः स्थापित करता है, बल्कि विश्व के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत है। भारत का यह बहुधर्मी मॉडल यह दर्शाता है कि कैसे विभिन्न मत और विचारों के बीच संवाद, समझ और सहयोग से एक समृद्ध, सशक्त और शांतिपूर्ण समाज का निर्माण संभव है।

श्री रामनाथ कोविंद जी, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और सभी धर्मगुरूओं ने मिलकर दीप प्रज्वलित कर अपने संकल्प को दोहराया और इस कार्यक्रम के समापन अवसर पर रूद्राक्ष का हरित पौधा भेंट किया।
5:19 pm
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